प्राचीन भारतीय परम्परा में मां दुर्गा को शक्ति की देवी के रूप में मानते हुए उनके ९ विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है।
1. माँ शैलपुत्री
घट स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की अर्चना की जाती है। शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के जन्म लेने के कारण इन्हें शैल पुत्री कहा जाता है।
मंत्र: वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
2. ब्रम्हचारिणी
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के देवी ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा का विधान है शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वत राज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी हजारों वर्ष तक कठिन तपस्या करने के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारी पड़ा।
मंत्र: दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
3. चंद्रघंटा
नवरात्र के तीसरे दिन दुर्गा जी के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी के पूजन करने का विधान है। इन देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है इसीलिए इनका नाम चन्द्रघण्टा पड़ा।
मंत्र: पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
4. कूष्मांडा
नवरात्र के चौथे दिन दुर्गाजी के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सृष्टि की उत्पत्ति के पूर्व जब चारों ओर अंधकार था तो मां दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्माण्ड की रचना की थी इसी कारण उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है।
मंत्र: सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।
5. स्कंदमाता
नवरात्र के पांचवें दिन दुर्गाजी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। स्कंद शिव और पार्वती के दूसरे और षडानन (छह मुख वाले) पुत्र कार्तिकेय का नाम है। स्कंद की मां होने के कारण ही इनका नाम स्कंदमाता पड़ा।
मंत्र: सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।।
6. कात्यायनी
नवरात्र के छठे दिन दुर्गा जी के छठे स्वरूप मां कात्यायनी का पूजन किया जाता है। ऐसा विश्वास है कि इनकी उपासना करने वाले को धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है । क्योंकि इन्होंने कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया इसीलिये इनका नाम कात्यायनी पड़ा।
मंत्र: चंद्रहासोज्ज्वलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातनी।।
7. मां कालरात्रि
नवरात्र के सातवें दिन दुर्गा जी के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इनका वरना अंधकार की भाँति एकदम काला है बाल बिखरे हुए हैं और इनके गले में पहनी हुई माला बिजली की भांति दिखाई देती है।
मंत्र: एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।
8. मां महागौरी
नवरात्र के आठवें दिन दुर्गा जी के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात् सफेद है इसीलिए इन्हें महागौरी भी कहा जाता है।
मंत्र: श्वेते वृषे समारूढा, श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।
9. सिद्धदात्री
नवरात्र के नौवें दिन दुर्गा जी के नौवें स्वरूप मां सिद्धदात्री की अर्चना की जाती है जैसा कि इनके नाम से स्पष्ट हो रहा है कि सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी है मां सिद्धदात्री।
मंत्र: सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।